गुरुवार, 11 मार्च 2010

आप गैरों की बात करते है

हमने अपनों को आजमाया है

लोग काटों से बचकर चलते है

हमने फूलो से जखम खाया है

आप का दोस्त अमानुल्लाह खान

खुशिया इस जहाँ की खुदा आप पर निसार दे
भूल जाओ हर गम कोई इतना प्यार दे
झुक जाये आपके कदमो में ये दुनिया सारी
खुदा आपको वो प्यारा से मुकाम दे
आपका दोस्त अमानुल्लाह खान

हस कर जीना दस्तूर है ज़िन्दगी का

एक यही किस्सा मशहूर है ज़िन्दगी का

बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते दोस्त

यही सबसे बड़ा कसूर है ज़िन्दगी का

अप्प का दोस्त मानुल्लाह खान

दुनिया में आने वाले भी कम ना होंगे

दुनिया से जाने वाले भी कम ना होंगे

सूनी रह जाएगी आपकी महफ़िल

जब आपकी महफ़िल में हम ना होंगे

आप का दोस्त अमानुल्लाह खान

हर दुआ में आप की ख़ुशी मांगी है

आपके लिए सितारों से रौशनी मांगी है

ना हो जिस ज़िन्दगी में कोई भी गम

खुदा से आपके लिए वो ज़िन्दगी मांगी है

आप का dost अमानुल्लाह खान

निगाहों से कर दो चिरागों को रोशन

बहुत दूर तक यह हसीं रात होगी

मुसाफिर हो आप भी , मुसाफिर है हम भी

तो जरुर एक दिन फिर मुलाकात होगी

आप का दोस्त अमानुल्लाह खान

कोई- कोई शख्स इतना खास होता है
नजरो से दूर पर यादो में पास होता है
कभी कभी ही आता है पैगाम उनका
पर हर पैगाम अपनेपन का एहसास होता है

आप का दोस्त अमानुल्लाह खान

रविवार, 7 मार्च 2010

तुजे पर
तुजे पर
जलते दिल में अगर नूर न होता
तो हमारा दिल इतना मजबूर न होता
हम आपको खुद आई लव यू कहने आते
अगर आप का घर इतना दूर न होता
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान