निगाहों से कर दो चिरागों को रोशन
बहुत दूर तक यह हसीं रात होगी
मुसाफिर हो आप भी , मुसाफिर है हम भी
तो जरुर एक दिन फिर मुलाकात होगी
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान
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