शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010


कोई बिछड़ा हुआ शख्स आज बहुत याद आया

एक गुज़रा हुआ वक़्त आज बहुत याद आया

छुपा लेता था जो मेरे दर्द को अपने सीने में

आज फिर दर्द हुआ तो वो बहुत याद आया

आप का दोस्त अमानुल्लाह खान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें