दिल की बात जनता नहीं कोई
कहना इन आँखों का मानता नहीं कोई
हम तो जान भी अपनी लुटा दे खुसी से
पर अहमियत इस जान की जनता नहीं कोई
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें