पर शायद चुपके से रोना भी जिंदगी है अप्प अक दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान
शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
ख्वाब की हर एक गली देखी
बागो में खिली हर कलि देखी
जो कहते थे तुम्हे कभी भूल ना पायगे
मेने उसके दिलमे अपनी तस्वीर जली देखी
आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान
प्यासे होठो को आंसू पिला दिया मोहबत का क़र्ज़ था जो उसने चूका दिया मैंने कहा था दिल में मोहबत की रौशनी कर दे उसने इसी बहाने मेरा सिल जला दिया आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान