शनिवार, 25 सितंबर 2010


प्यार में किसी को खोना भी जिंदगी है

जिंदगी में गमो का होना भी जिंदगी है

यु तो रहती है होटो पर मुस्कराहट

पर शायद चुपके से रोना भी जिंदगी है
अप्प अक दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान

शुक्रवार, 10 सितंबर 2010


ख्वाब की हर एक गली देखी

बागो में खिली हर कलि देखी

जो कहते थे तुम्हे कभी भूल ना पायगे

मेने उसके दिलमे अपनी तस्वीर जली देखी

आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान
प्यासे होठो को आंसू पिला दिया
मोहबत का क़र्ज़ था जो उसने चूका दिया
मैंने कहा था दिल में मोहबत की रौशनी कर दे
उसने इसी बहाने मेरा सिल जला दिया
आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान




गुरुवार, 9 सितंबर 2010



दिल बनाने वाले ने दिल कांच का बनाया होता


तोड़ने वाले के हाथ पर ज़ख्म तो आया होता


जब भी देखता अपने हाथों को वो


उन्हें हमारे दिल का ख्याल तो आया होता


आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान



शीशा -इ-दिल आखिर तोडना पड़ा हमे


रुख उनसे मोड़ना पड़ा हमे


इतनी मोहब्बत की उनसे क्या बताये यारो


उनकी ख़ुशी की खातिर उन्ही को छोड़ना पड़ा हमे


आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

उतरे जो जिंदगी तेरी गहराइयों में हम

महफ़िल में रहकर भी रहे तनहइयो में हम

दीवानगी नही तो और क्या कहे

इंसान ढूँढ़ते रहे पर्छयिओं में हम

आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान

इन बहते आंसुओं से अकीदत है मुझे भी

तेरी तरह ही खुद से शिकायत है मुझे भी

तू अगर नाज़ुक हो तो मै भी पत्थर नही

तन्हाई में रोने की आदत है मुझे भी

आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान

अब तो गिर गया है कफ़न

खुल के दीदार कार लो मेरा

क्यों की बंद हो गयी है वो आँखें

जिन से तुम शरमाया करती थी

अप्प का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान

रविवार, 5 सितंबर 2010



आंखे तरस कर रो पड़ी न उनका कोई पैगाम आया


चले गये हमे अकेला छोड़ के ये कैसा मुकाम आया


मेरी तन्हाई मुस्कराई मुझपे और बोली


बता मेरे सिवकों तेरे काम आया




कभी जब चाँद को देखना तो मुझे भी याद कर लेना


ये सोच कर नही की खुबसुरत है वो सितारों के बीच


बल्कि ये सोच कर की तन्हा है वो हजारो के बीच


आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान



देर रात जब किसी की याद सताए


ठंडी हवा जब जुल्फों को सहलाये


कर लीजिये आंखे बंद और सो जाये क्या पाता


जिसका है ख्याल वो खुवाबों में आ जाये


आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान


कोई मिला ही नहीं जिसको वफ़ा देते

हर एक ने धोखा दिया किस किस को सजा देते

ये हमारा ज़र्फ़ था की खामोस रहे

दास्ताँ सुनते तो महफ़िल को रुला देते

अप्प का दोस्त अमानुल्लाह खान फोटो जर्नलिस्ट