शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

प्यासे होठो को आंसू पिला दिया
मोहबत का क़र्ज़ था जो उसने चूका दिया
मैंने कहा था दिल में मोहबत की रौशनी कर दे
उसने इसी बहाने मेरा सिल जला दिया
आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें