मंगलवार, 7 सितंबर 2010

उतरे जो जिंदगी तेरी गहराइयों में हम

महफ़िल में रहकर भी रहे तनहइयो में हम

दीवानगी नही तो और क्या कहे

इंसान ढूँढ़ते रहे पर्छयिओं में हम

आप का दोस्त फोटो जर्नलिस्ट अमानुल्लाह खान

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