रविवार, 5 सितंबर 2010



आंखे तरस कर रो पड़ी न उनका कोई पैगाम आया


चले गये हमे अकेला छोड़ के ये कैसा मुकाम आया


मेरी तन्हाई मुस्कराई मुझपे और बोली


बता मेरे सिवकों तेरे काम आया


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