सोमवार, 10 मई 2010



करोगे याद गुज़रे ज़माने को


तरसोगे हमारे साथ एक पल बिताने को


फिर आवाज़ दोगे हमें वापस आने को


हम कहेंगे दरवाज़ा नहीं है कबर से बहार आने को




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