वो यूँ ही हमसे रूठ गए
सारे अरमान मेरे टूट गए
फासले कुछ ऐसे किये उन्होंने
की वो पत्थर बनकर जीने लगे
और हम शीशा बनकर टूट गए
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान
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