मेरे दिल में था ठिकाना उसका
दो कदम भी उससे आया न गया
मैंने पुछा क्यों तोड़ दिया तुने वादा अपना
तो मुस्कुरा के बोले बस निभाया ना गया
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान
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