मुलाकात भी कभी आसू दे जाती है
नज़रे भी कभी धोका दे जाती है
गुज़रे हुए लम्हों कोयाद करके देखिये
तन्हाई भी कभी सुकून दे जाती है
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें