मेरी एक भूल ही मेरी खता बन गयी
मेरी वफाये ही मेरी सजा बन गयी
दिल लिया और खेलकर दिल को तोड़ दिया ।
हमारी तो जान गयी और उनकी ये अदा बन गयी
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें