एक लम्हा एक मंजर गुजर जाता है
जब अपना कोई बेगाना नजर आता है
यूँ तो आवाज़ आती अहि हर शीशे के टूटने की
पर कभी बिन आवाज़ के सब कुछ टूट जाता है
आप का दोस्त अमानुल्लाह खान
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